मेरी शादी ठीक से हुई, मेरे जिम्मे सिर्फ़ दो काम थे, पहला घर और ससुराल में शादी की सभी परम्पराएँ पूरी करना और दूसरा शादी में शामिल मेहमानों से शादी की शुभकामनाएँ स्वीकारना ! इसके अलावा शादी की तैयारियों के कई काम भी जो चलते फिरते मुझे नजर आते, जल्दी ही उन्हें करना पड़ता या उन्हें करने के लिए किसी को कहना पड़ता। suhagraat ki chudai main kabhi na bhool payi… बारात लेकर स्नेहा के गांव जाना और फ़िर स्नेहा के साथ शादी करके लौटते समय तक तो मैं बहुत थक गया था। पर सारी थकान इस सोच से दूर करता कि अब स्नेहा मुझे रोज चोदने के लिए मिल गई है। हमारे समुदाय में एक कहावत है- ‘लुगाई रो हाथ कर ले अपणा, सख्ती कम जोर घणा’ इस कहावत को चरितार्थ होते मैंने अभी ही देखा। मेरी सारी थकान तब फुर्र हो जाती जब स्नेहा का हाथ ऊपर से ही सही मेरे लंड पर लग जाता। इ स आनन्द को बताने मुझे शब्द नहीं मिल रहे हैं। पर साथ ही मैं महसूस कर रहा था कि स्नेहा भी मेरे साथ सैक्स का यह खेल खेलने का मजा ले रही है। उसे जब भी मौका मिलता, वह मेरे लंड पर हाथ रख देती। लौटते में हम अपनी कार में थे और ड्राइवर तथा मेरे भाई के दोनो बच्चे साथ में ह
चुदाई की कहानी जीजा साली की चुदाई बाप बेटी की चुदाई बीवी की अदला बदली बॉलीवुड फैन्टेसी भाई बहन भाभी की चुदाई माँ की चुदाई रिश्तों में चुदाई